ल’द्दा’ख सहित वास्तविक नि’यंत्रण रेखा (एलएसी) पर ची-न की तरफ से होने वाली किसी भी गुस्ताखी का जवाब देने के लिए भारतीय फौ’ज ने पुरजोर तैयारी की है। हाल के दिनों में सी’मा पर ची”न के हेलिकॉप्टरों की गतिविधियों में तेजी आई है जिसके बाद से’ना ने ल’द्दा’ख की ऊंची चोटियों पर ऐसी टुकड़ी की तैनाती की है जो अपने कंधे से एयर डि’फेंस मि’साइ’ल फा’यर करने की क्षमता रखती है।
रुस निर्मित है यह घातक मिसाइल
समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से कहा, ‘रूस द्वारा निर्मित एग्ला एयर डिफेंस सिस्टम से लैस फौज की टुकड़ी को सीमा पर स्थित ऊंची चोटियों पर तैनात किया गया है। ये टुकड़ी भारतीय वायु क्षेत्र का उल्लंघन करने की कोशिश करने वाले लड़ाकू विमानों को सबक सिखाएगी।’ रूस द्वारा निर्मित इस एयर डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल सेना और वायु सेना दोनों करते हैं। युद्ध के समय दुश्मन देश के हेलिकॉप्टर एवं लड़ाकू विमान जब सैन्य ठिकानों एवं तैनात फौज के करीब आते हैं तो इस मिसाइल का इस्तेमाल किया जाता है।
गलवान घाटी की हिंसा के बाद दोनों देशों के रिश्तों में आई तल्खी
गत पांच जून को गलवान घाटी में चीन और भारत के सैनिकों के बीच खूनी हिंसा हुई। इसके बाद दोनों देशों के रिश्तों में काफी तल्खी आ गई है। चीन ने लद्दाख एवं एलएसी पर अपने सैनिकों, लड़ाकू विमानों एवं भारी हथियारों का जमावड़ा किया है। चीन की किसी भी हिमाकत का जवाब देने के लिए भारत ने अपनी जवाबी तैयारी की है। एलएसी पर चीन की सेना पीएलए की हरकतों पर नजर रखने के लिए भारतीय सेना ने इस इलाके में रडार सिस्टम में इजाफा एवं अपने निगरानी तंत्र को मजबूत किया है।
गतिरोध के स्थलों पर चीनी हेलिकॉप्टर आए हैं नजर
हाल के दिनों में सेना ने पाया है कि पूर्वी लद्दाख के गतिरोध वाली जगहों पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 एवं अन्य स्थानों के समीप चीनी हेलिकॉप्टरों ने भारतीय क्षेत्र में दाखिल होने की कोशिश की है। भारतीय वायु क्षेत्र का उल्लंघन करने की चीन की मंशा को भांपते हुए वायु सेना ने मई महीने के पहले सप्ताह में ही अपने सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों की तैनाती पूर्वी लद्दाख में कर दी।