पू’र्वी ल’द्दा’ख में लगता है कि ची”न आसानी से पीछे नहीं हटेगा। वह अपने उसी अड़ियल रवैये पर कायम है और सोमवार को छठें दौर की कोर क’मांड’र वार्ता के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है। मई माह से ही ची”’न ने पू’र्वी ल”द्दा’ख की कुछ जगहों पर गै”र-का”नू’नी तरीके से कब्जा किया हुआ है। अब ची”न, भा’रत से यह मांग कर रहा है कि वह पैंगों”ग त्सो के दक्षिणी हिस्से में स्थित अहम रणनीतिक चोटियों को खाली कर दे। सेना के वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो ची”न ने डिएस्कलेशन से पहले यह शर्त रख दी है
ची”न बोला- सभी अहम चोटियों को खाली करो
21 सितंबर को हुई छठें दौर की कोर कमांडर वार्ता के दौरान चीन की तरफ कहा गया था कि वह तब तक लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर डिसइंगेजमेंट पर कोई चर्चा नहीं करेगा जब तक कि भारत चोटियों को नहीं खाली करता है। दोनों देशों के बीच इस समय एलएसी पर युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं। इस वर्ष अप्रैल से ही पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) की तरफ से भारतीय सेना को भड़काने वाली कार्रवाई की जा रही है। पीएलए के जवान इस बात पर अड़े हैं कि जब तक इंडियन आर्मी पैंगोंग त्सो के दक्षिणी हिस्से से नहीं जाएगी, मसला नहीं सुलझेगा। भारतीय सेना इस समय रणनीतिक तौर पर चीन के खिलाफ काफी मजबूत स्थिति में आ गई है
भारत ने दिया चीन को यह जवाब भारत की तरफ से भी चीन को कहा गया है कि वह पहले डिएस्कलेशन का एक रोडमैप उसे दिया जाए ताकि यह पता लग सके कि पूर्वी लद्दाख में कैसे पीछे हटने वाली है। एक अधिकारी की तरफ से कहा गया है कि चर्चा को सिर्फ एक या दो जगहों तक ही सीमित रखा जाए जबकि एलएसी के हर हिस्से पर चीन की सेना का बड़ा जमावड़ा है। भारत ने देपसांग समेत टकराव वाले सभी इलाकों पर चर्चा करनी शुरू कर दी है। भारत की तरफ से कहा जा चुका है कि एलएसी पर डिसइंगेजमेंट चर्चा के दौरान इन पर भी बातचीत होनी चाहिए। भारत ने चीन को उस समय उसके ही स्वाद का अनुभव कराया जब दक्षिणी हिस्से यानी चुशुल सेक्टर में स्थित सभी महत्वपूर्ण जगहों पर कब्जा कर लिया।
भारत ने बनाया हुआ है चीन पर दबाव इस समय रेकिन ला, रेजांग ला और मुखपारी पर भारत की सेनाएं मौजूद हैं। सेना रणनीतिक तौर पर अहम स्पांगुर गैप पर अपना दबदबा बनाए हुए हैं। मंगलवार को भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में स्थिति पर एक साझा बयान जारी किया गया है। इस बयान में दोनों देश इस बात पर राजी हुए हैं कि अब लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर और ज्यादा जवान नहीं भेजे जाएंगे। लेकिन इन सबके बीच इस स्थिति को लेकर कनफ्यूजन बना हुआ कि दोनों देशों के बीच अप्रैल वाली यथास्थिति को लेकर क्या तय हुआ है। सूत्रों की मानें तो इस मसले पर कोई भी हल नहीं निकल सका है। सोमवार को भारत और चीन के बीच छठें दौर की कोर कमांडर वार्ता हुई है और 13 घंटे की मीटिंग भी बेनतीजा खत्म हो गई। यह मीटिंग चीन के हिस्से में आने वाले मोल्डो में हुई थी।
20 दिन में छह पहाड़ियां, 200 राउंड फायरिंग! इंडियन आर्मी ने पिछले 20 दिनों में जिन पहाड़ियों पर कब्जा किया है, उसके बाद अब पीएलए के जवानों की मूवमेंट को ट्रैक करने में आसानी हो सकेगी। ऐसे में चीन को बड़ा नुकसान होगा। सूत्रों के मुताबिक चीन की सेना ने तीन बार इन पहाड़ियों पर कब्जा करने की कोशिशें की हैं। पिछले दिनों में पैंगोंग के उत्तरी हिस्से से लेकर दक्षिणी छोर तक फायरिंग तक हुई है।सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि ब्लैक टॉप और हेलमेट टॉप एलएसी के दूसरी तरफ यानी चीन के हिस्से में हैं। जबकि जिन चोटियों पर सेना ने कब्जा किया है, वो सभी भारतीय सीमा में आती हैं। चीन की सेना की तरफ से अब 3,000 अतिरिक्त जवानों को भी तैनात किया गया है
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