दिलीप कुमार की पुश्तैनी हवेली को 2014 में और राज कपूर की हवेली को 2018 में पाकिस्तान सरकार ने राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया था। दोनों ही हवेलियां पेशावर शहर के रिहायशी इलाके किस्सा ख्वानी बाजार में हैं। पुश्तैनी हवेलियों पर औपचारिक संरक्षण की प्रक्रिया चल रही है।
खैबर पख्तूनख्वाह प्रोविंशियल गवर्नमेंट ने इसकी पहल की थी, ताकि यहां म्यूजियम बनाया जा सके। मौजूदा मालिकों को इस काम के लिए 18 मई तक का समय दिया था। लेकिन अफसोस दिलीप साहब हवेली के सुधरने से पहली ही दुनिया छोड़कर चले गए। 1947 में भारत और पाकिस्तान के विभाजन से पहले राज कपूर और दिलीप कुमार ने इन इमारतों में अपने जीवन का शुरुआती हिस्सा गुजारा है।
कीमतों से नाखुश मौजूदा ओनर्स ने नहीं मानी बात
इससे पहले खैबर पख्तूनख्वा सरकार ने राज कपूर के 6.25-मारला और दिलीप कुमार के 4-मारला घरों को 1.50 करोड़ और 80 लाख रुपए में खरीदकर उन्हें संग्रहालयों में तब्दील करने का प्लान बनाया था। इसके पीछे मकसद यह दिखाना है कि दुनिया और बॉलीवुड के लिए पेशावर का क्या योगदान है?
राज कपूर की हवेली के मालिक अली कादिर ने हवेली के लिए 20 करोड़ की मांग की थी। वहीं, दिलीप कुमार की हवेली के मालिक गुल रहमान मोहम्मद ने कहा था सरकार को इसे मार्केट रेट यानी करीब 3.50 करोड़ रुपए में खरीदना चाहिए।
कपूर हवेली में मैरिज पार्टी के लिए 6 महीने वेटिंग रहती थी
राज कपूर की हवेली के बारे में प्रचलित है कि 1947 के विभाजन से पहले शादी की पार्टी देने के लिए लोगों की पहली पसंद होती थी। हवेली में बुकिंग नहीं मिलने के चलते 6-6 महीने डेट्स आगे बढ़ानी पड़ती थीं। लेकिन 2005 के भूकंप से हवेली को नुकसान पहुंचा और यह गतिविधि बंद हो गई। भूकंप के बाद इसकी हालत खराब होती गई। 2014 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने इन घरों को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया, पर संरक्षित करने के लिए कोई झांकने तक नहीं पहुंचा था।
Sunday Morning from the home of legendary @TheDilipKumar, it broke my heart to see the miserable Condition of this asset.#Peshawar #DilipKumar #HomeTown pic.twitter.com/wSuu38neA4
— Shahzad Shafi (@shahzadShafi007) October 4, 2020
कपूर हवेली के पास ही है दिलीप कुमार की पुश्तैनी हवेली
दिलीप कुमार की पुश्तैनी हवेली भी कपूर हवेली के पास ही है। यह करीब 100 साल पुरानी है। दोनों हवेलियों के मालिकों ने कई बार इन्हें गिराकर कमर्शियल प्लाजा बनाने की कोशिश की, लेकिन सरकार ने इसकी मंजूरी नहीं दी। 100 साल पुरानी 40 से 50 कमरे वाली शानदार पांच मंजिला इमारत का टॉप और चौथा फ्लोर ढह चुका है। बाकी बिल्डिंग भी जर्जर हो चुकी है। खैबर पख्तूनख्वाह के सीएम ने 4 महीने पहले करीब 2.35 करोड़ रुपए अलॉट कर दिए हैं।